भारत और चीन के संबंधों में पिछले पांच वर्षों में काफी उतर चढ़ाव देखे गए है। 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच संबंध काफी बिगड़ गए थे। इन बिगड़े संबंधों को सुधारने की दिशा में एक कदम बढ़ाते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल हुए और चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मिले। वो यहां सिंगापुर की अपनी यात्रा पूरी करने के बाद पहुंचे। विदेश मंत्री 14 और 15 जुलाई तक चीन के दौरे पर रहेंगे। ये पिछले पांच वर्षों में उनका पहला चीन दौरा है।
दोनो देशों के विदेश मंत्री इससे पहले फरवरी में जोहान्सबर्ग में जी-20 बैठक के दौरान मिले थे जहां दोनों ने भारत और चीन के बीच आपसी विश्वास और समर्थन की उम्मीद जताई थी।
उपराष्ट्रपति से की मुलाकात
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने बीजिंग में चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से भी मुलाकात की। इस मुलाकात की तस्वीरें साझा करते हुए उन्होंने अपने X अकाउंट पर लिखा, चीन की शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की अध्यक्षता के लिए भारत का समर्थन व्यक्त किया। हमारे द्विपक्षीय संबंधों में सुधार पर ध्यान दिया और विश्वास व्यक्त किया कि मेरी यात्रा के दौरान हुई चर्चाएं सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ेंगी।
यात्रा पर क्या बोले विदेश मंत्री
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी इस यात्रा को लेकर आशा जताई है कि इस दौरे के दौरान होने वाली बातचीत किसी सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि यह कदम दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूती देने में मदद करेगा।
विदेश मंत्री ने कहा कि मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय स्थिति बेहद जटिल है। दोनों देशों के बीच विचारों का खुला आदान-प्रदान बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस दौरान एससीओ की बैठक में शामिल होने पर खुशी भी व्यक्त की और कहा कि भारत SCO में चीन की सफल अध्यक्षता का समर्थन करता है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर की यह यात्रा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की यात्राओं के बाद हो रही है। उन दोनों ने जून में एससीओ बैठकों के लिए चीन की यात्रा की थी। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच भी अक्टूबर 2023 में रूस के कजान शहर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान एक द्विपक्षीय बैठक हुई थी।
पिछले कुछ वर्षों में भारत और चीन के संबंधों में काफी स्थिरता देखने को मिली है। ऐसे में विदेश मंत्री जयशंकर की यह यात्रा दोनों पड़ोसी देशों के संबंधों में आई खटास को दूर करने की ओर एक अच्छा कदम साबित हो सकती है। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच महत्वपूर्ण द्विपक्षीय मुलाकात होने की संभावना भी जताई जा रही है।