नई दिल्ली | 26 जून 2025
41 साल की खामोशी को तोड़ते हुए भारत ने एक बार फिर अंतरिक्ष में मानव मौजूदगी का परचम लहराया है। Axiom-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की ओर रवाना हुए ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष से अपनी पहली भावुक प्रतिक्रिया दी है, जो न सिर्फ विज्ञान का उत्सव है, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण भी।
39 वर्षीय शुभांशु शुक्ला — जो कभी भारतीय वायुसेना में फाइटर पायलट थे — अब भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री बन गए हैं। इससे भी बड़ी बात ये है कि वह पहले भारतीय हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक अपनी यात्रा पूरी की है।
“सिर्फ एक पल लगा और मैं ज़मीन से बहुत दूर था”
अपने पहले संदेश में शुभांशु ने कहा,
“जब रॉकेट लॉन्च हुआ, तो लगा जैसे सीट ने मुझे पीछे धकेल दिया हो। कुछ ही पलों में सब कुछ बदल गया। ज़मीन, वज़न और गुरुत्वाकर्षण — सब पीछे छूट गया। अचानक सब कुछ शून्य था।”
कैप्सूल के भीतर से रिकॉर्ड किए गए इस संदेश में शुभांशु ने अपने अनुभवों को बेहद सादगी से बयां किया, लेकिन हर शब्द में एक रोमांच, एक जिज्ञासा और थोड़ा-सा डर भी साफ झलकता था।
“मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था”
शुभांशु ने खुलकर कहा कि अंतरिक्ष में पहला अनुभव उतना सहज नहीं था।
“जब हम पूरी तरह वैक्यूम में पहुंचे, तो एक अजीब-सी बेचैनी महसूस हुई। शरीर कुछ समझ नहीं पा रहा था। लेकिन फिर धीरे-धीरे सब सामान्य लगने लगा। मुझे बताया गया है कि मैं तब से काफी नींद में हूं,” उन्होंने हँसते हुए कहा।
वो बोले,
“अब मैं फिर से बच्चा बन गया हूं — सीख रहा हूं कि अंतरिक्ष में कैसे चला जाए, कैसे खाना खाया जाए, कैसे खुद को संभाला जाए।”
सिर्फ अकेले नहीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय टीम का हिस्सा
इस ऐतिहासिक मिशन में शुभांशु अकेले नहीं हैं। उनके साथ हैं:
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पेगी व्हिटसन, तीन बार अंतरिक्ष जा चुकीं NASA की दिग्गज
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टिबोर कापू, हंगरी से
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स्लावोश उज़नांस्की-विस्नेव्स्की, पोलैंड से
यह मिशन सिर्फ भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए अंतरिक्ष सहयोग का प्रतीक बन चुका है।
जब लखनऊ से लेकर ह्यूस्टन तक गूंजा ‘भारत माता की जय’
लॉन्च के दौरान भारत समेत दुनिया के कई शहरों में पब्लिक वॉच पार्टियां रखी गईं। लखनऊ, बुडापेस्ट, ग्दांस्क और ह्यूस्टन जैसे शहरों में जैसे ही Falcon 9 रॉकेट ने उड़ान भरी, तालियों और नारों से आसमान गूंज उठा। खास बात ये रही कि शुभांशु के परिवार ने भी इस ऐतिहासिक क्षण को लाइव देखा।
ये लॉन्च उसी ऐतिहासिक लॉन्चपैड LC-39A से हुआ, जहाँ से कभी अपोलो 11 मिशन चंद्रमा के लिए रवाना हुआ था।
राकेश शर्मा के बाद, अब शुभांशु
1984 में राकेश शर्मा जब पहली बार अंतरिक्ष में गए थे, तब भारत की आंखों में सपने थे। आज, शुभांशु ने उन सपनों को फिर से जगा दिया है। वो न सिर्फ अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं, बल्कि पहले ऐसे नागरिक हैं जिन्होंने ISS जैसी वैश्विक प्रयोगशाला तक अपनी जगह बनाई है।
देरी भी थी, पर मंज़िल भी बड़ी थी
यह मिशन मई में लॉन्च होने वाला था, लेकिन मौसम और तकनीकी दिक्कतों ने इसे टाल दिया। NASA, SpaceX और Axiom Space की टीमों ने लगातार मेहनत कर यह सुनिश्चित किया कि जब भी लॉन्च हो — वो परफेक्ट हो। और हुआ भी यही।