Bahraich : नेपाल में लगातार हो रही मूसलधार बारिश ने Saryu River को उफान पर ला दिया है। इसका सबसे गंभीर असर उत्तर प्रदेश के Bahraich जिले के महसी तहसील के जानकीनगर गांव में देखा जा रहा है, जहां Saryu River ने विकराल रूप धारण कर लिया है। अब तक गांव के 11 घर पूरी तरह नदी में समा चुके हैं, और लगभग 100 बीघे उपजाऊ कृषि भूमि भी कटान की चपेट में आकर बह चुकी है।
चार दिनों में नदी ने लील ली सैकड़ों परिवारों की मेहनत
बीते शनिवार से नदी में तेज़ कटान शुरू हुआ है, जो मंगलवार तक और अधिक भयावह हो गया। सिर्फ चार दिनों के भीतर ही नदी ने न केवल खेत बल्कि लोगों के आशियाने भी निगल लिए। जिन खेतों में अभी कुछ दिन पहले धान की फसल लहलहा रही थी, वे अब पानी में समा गए हैं। लगातार बढ़ रहे कटाव ने गांव के लोगों की नींद उड़ा दी है।
ग्रामीणों की आंखों के सामने उजड़ रहे हैं सपने
गांव के लोगों ने जिन घरों को वर्षों की मेहनत से खड़ा किया था, वे एक रात में नदी में समा गए। जिनके मकान अभी बचे हुए हैं, वे खुद ही उन्हें तोड़कर ईंट और मलबा सुरक्षित करने में लगे हैं, ताकि भविष्य में कभी नई जगह बसने का अवसर मिले तो ये सामग्री काम आ सके। मिट्टी के बड़े-बड़े टुकड़े जब नदी में गिरते हैं, तो धमाके जैसी आवाज से पूरा गांव थर्रा उठता है। ग्रामीण बताते हैं कि जैसे ही मिट्टी गिरती है, उनके खेत और फसलें भी पानी में बह जाती हैं।
95 में से सिर्फ 13 मकान बचे, वो भी खतरे में
जानकीनगर गांव पहले 95 घरों से आबाद था, लेकिन अब केवल 13 ही बचे हैं। ग्रामीणों ने कटाव क्षेत्र से कुछ दूर पर अस्थायी झोपड़ियां बना ली हैं, लेकिन उन्हें डर है कि आने वाले दिनों में ये भी सुरक्षित नहीं रहेंगी। हर कोई यही मांग कर रहा है कि सरकार उन्हें किसी सुरक्षित स्थान पर पुनर्वासित करे, ताकि वे एक बार फिर सामान्य जीवन शुरू कर सकें।
बहराइच के जानकीनगर कटान क्षेत्र पहुंचे सिंचाई विभाग के चीफ संदीप त्रिपाठी।
सरयू नदी के तेज कटान का लिया जायजा, पीड़ितों से की मुलाकात।
अब तक 11 घर नदी में समा चुके हैं, किसानों की ज़मीनें भी बर्बाद।#Bahraich #FloodUpdate #SaryuRiver #DisasterRelief @DMBahraich pic.twitter.com/FSgPHXQu7P
— FM News UP (@FMNewsUp) July 2, 2025
प्रशासनिक मदद की राह देख रहे हैं पीड़ित
ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस सहायता नहीं मिली है। कुछ अधिकारियों ने दौरा किया, लेकिन मुआवजे या राहत सामग्री को लेकर कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं दिया गया। कुछ लोगों का कहना है कि लेखपाल ने आकर कह दिया कि कटान से हुए नुकसान पर कोई मुआवजा नहीं मिलेगा, जिससे ग्रामीणों में भारी नाराजगी है।