उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण के खिलाफ योगी सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए अवैध धर्मांतरण के आरोपी जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा की आलीशान कोठी पर बुलडोजर चलाया। छांगुर बाबा पर धर्मांतरण के साथ 100 करोड़ रुपये के अवैध कारोबार में लिप्त होने का भी आरोप है। बाबा के अवैध धर्मांतरण के कारोबार की ख़बर लगते ही यूपी पुलिस प्रशासन ने हरकत मे आकर बाबा के खिलाफ करवाई की।
जांच के दौरान पता चला कि कोतवाली उतरौला क्षेत्र के मधपुर गांव में बाबा की ये कोठी सरकारी जमीन पर बनी है। कोठी को लेकर सरकार द्वारा बाबा को नोटिस भी जारी किया गया था। जिसके बाद अब करवाई करते हुए बाबा के इस ठिकाने पर बुलडोजर चला। इस दौरान यूपी पुलिस के कई बड़े अधिकारी मौके पर मौजूद रहे। एसडीएम, सीओ समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
धर्मांतरण के लिए लड़कियों को देता था पैसे
अवैध धर्मांतरण के आरोप में यूपी एटीएस द्वारा गिरफ्तार किए गए छांगुर बाबा की जांच ईडी भी करेगा। एटीएस ने इस मामले में बाबा के साथ उनकी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन को गिरफ्तार किया था। इससे पहले प्रयागराज पुलिस ने जून में धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश किया था। वहीं एटीएस को कई सबूत मिले हैं कि छांगुर बाबा ने अवैध धर्मांतरण के जरिये 100 करोड़ रुपये से अधिक रकम जुटाई है। बाबा हिंदू लड़कियों को इस्लाम अपनाने के लिए लाखों रुपए का लालच देता था। बाबा की गैंग के सदस्यों ने खुद के और अलग अलग संस्थाओं के नाम से 40 से भी ज्यादा खाते खुलवाए थे। जिसका इस्तेमाल बाबा टेरर फंडिंग और अन्य जगहों पर अवैध धर्मांतरण कराने में करता रहा है। सामने ये भी आया है कि बाबा ने इस्लाम के प्रचार के लिए एक शिजर-ए-तैय्यबा नाम की किताब भी छपवा रखी थी। एटीएस बाबा के मामले से जुड़ी सारी जानकारी की विस्तृत रिपोर्ट बनाकर ईडी को देगा। जिससे बाबा के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिग एक्ट के तहत केस दर्ज कर मनी ट्रेल का पता लगाया जा सके।
योगी सरकार ने अवैध धर्मांतरण को रोकने के लिए अपने मौजूदा धर्मांतरण कानून को और सख्त करते हुए उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम, 2024 को विधानसभा में पारित कर दिया है। इस विधेयक को 30 जुलाई 2024 को विधानसभा में पेश किया गया था।
क्या हैं नए संशोधन?
नए कानून में धर्मांतरण से जुड़े अपराधों को गंभीर श्रेणी में रखा गया है। छल, कपट, धमकी, प्रलोभन, या विवाह का झूठा वादा करके धर्मांतरण कराने वालों को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। पहले कानून में 10 साल की सजा का प्रावधान था। इसके अलावा, जुर्माने की राशि को भी दोगुना किया गया है। सजा को बढ़ाकर 3-10 साल और जुर्माने को बढ़ाकर 25,000 रुपये का जुर्माना किया है। अगर पीड़ित नाबालिग, महिला, या एससी-एसटी समुदाय से है, तो सजा 5-14 साल और जुर्माना 1 लाख रुपये तक हो सकता है। इसके साथ ही पहले केवल पीड़ित, उनके माता-पिता, भाई-बहन, या खून के रिश्तेदार ही धर्मांतरण की शिकायत दर्ज कर सकते थे। नए संशोधन में अब कोई भी व्यक्ति एफआईआर दर्ज करा सकता है।