उत्तर प्रदेश

नीले ड्रम का ‘गंगाजल से शुद्धिकरण’, कांवड़ यात्रा में दिखा अलग ही नज़ारा

मेरठ का बदनाम नीला ड्रम एक बार फिर चर्चाओं में है—लेकिन इस बार वजह नकारात्मक नहीं, बल्कि धार्मिक है। कांवड़ यात्रा के दौरान एक श्रद्धालु ने नीले ड्रम को ही कांवड़ बना लिया और गंगा जल से इसका शुद्धिकरण करने का अनोखा संकल्प लिया है।

गाजियाबाद से पैदल निकला ये कांवड़िया हरिद्वार से गंगाजल लेकर लौट रहा है। खास बात ये है कि उसके कंधों पर पारंपरिक कांवर की जगह दो बड़े नीले ड्रम लटके हैं, जिनमें बताया जा रहा है कि 80 लीटर से अधिक गंगाजल भरा हुआ है। उसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, और लोग इसे एक अलग ही श्रद्धा और संदेश का प्रतीक मान रहे हैं।

नीले ड्रम

मुस्कान कांड से जुड़ा था नीला ड्रम

दरअसल, मेरठ के चर्चित सौरभ राजपूत हत्याकांड में नीले ड्रम का इस्तेमाल किया गया था, जब पत्नी मुस्कान ने प्रेमी के साथ मिलकर सौरभ की हत्या कर उसके शव के टुकड़े इसी ड्रम में भर दिए थे। यह घटना सामने आने के बाद नीले ड्रम की छवि आम लोगों में डर और घृणा का प्रतीक बन गई थी। कई लोगों ने तो अपने घरों में रखे नीले ड्रम तक फेंक दिए थे।

अब धर्म के रास्ते ‘शुद्ध’ हो रहा नीला ड्रम

इस कांवड़िए का कहना है कि “नीले ड्रम को मुस्कान ने बदनाम किया था, लेकिन अब मैं इसे गंगाजल से पवित्र करूंगा।” उसका यह भी कहना है कि वह इस गंगाजल से अपने माता-पिता को स्नान कराएगा ताकि यह जल और ड्रम दोनों पवित्र हो जाएं।

सामाजिक संदेश के साथ धार्मिक श्रद्धा

इस अनोखी कांवर को देखकर राहगीर भी हैरान हैं। जब उससे पूछा गया कि क्या उसकी शादी हो चुकी है, तो उसने जवाब दिया कि नहीं, अभी वह अविवाहित है। करीब 200 किलोमीटर की पैदल यात्रा तय कर यह कांवड़िया हरिद्वार से गंगा जल लेकर लौटा है।

लोगों की सोच में बदलाव लाने की कोशिश

एक समय जिस नीले ड्रम को लोग अपने घरों से बाहर निकाल फेंक रहे थे, अब उसी ड्रम को श्रद्धा और पवित्रता के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है। यह कांवड़िया न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बनकर उभरा है, बल्कि उसने समाज को भी यह संदेश दिया है कि किसी वस्तु की पहचान हमारे कर्म तय करते हैं।

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