उत्तर प्रदेश

Banda: SDM से बोले विधायक- “सिखा देंगे तुम्हें नौकरी करना, देख लेंगे तुम्हें, ये वादा है मेरा

उत्तर प्रदेश के बांदा जनपद में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदर विधायक प्रकाश चंद द्विवेदी एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गए हैं। इस बार मामला और भी गंभीर है, क्योंकि वायरल वीडियो में विधायक एक अन्य विधानसभा क्षेत्र के उपजिलाधिकारी (SDM) को फोन पर धमकाते नजर आ रहे हैं। वीडियो में वह अधिकारी को “नौकरी करना सिखा देने” और “देख लेने” जैसी बातें कहते दिखाई दे रहे हैं।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला बांदा जिले की बबेरू विधानसभा का है, जहां कृषक सेवा सहकारी समिति के जर्जर भवन को गिराए जाने की कार्रवाई की गई। प्रशासन के अनुसार, इस भवन के कुछ हिस्सों में 26 साल से राजेंद्र प्रसाद पांडे निवास कर रहे थे, लेकिन वह जगह कानूनी रूप से समिति के नाम पर थी। इसको लेकर पूर्व में मुकदमा भी चला जो 5 दिसंबर 2016 को खारिज हो गया था।

हाल ही में अपर जिला सहकारी सेवा समिति के सचिव, प्रशासनिक अनुमति के साथ बुलडोजर लेकर मौके पर पहुंचे और भवन को ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी। इस पर कुछ स्थानीय लोगों ने विरोध किया। स्थिति को संभालने के लिए एसडीएम बबेरू रजत शर्मा ने तहसीलदार गौरव कुमार के नेतृत्व में पुलिस बल भेजा, और विवादित जर्जर भवन को गिरा दिया गया। इस दौरान अजय पांडे नामक व्यक्ति को हिरासत में भी लिया गया

विधायक की एंट्री और बयानबाज़ी

इस कार्रवाई की सूचना जैसे ही बांदा सदर विधायक प्रकाश चंद द्विवेदी को मिली, उन्होंने मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया। प्रभावित पक्ष ने इस कार्रवाई के पीछे भाजपा के ही जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल की साजिश होने का आरोप लगाया। इसके बाद विधायक ने न सिर्फ मौके पर मौजूद कर्मचारियों को फटकारा, बल्कि फोन पर SDM रजत शर्मा से भी तीखी बातचीत की।

वायरल वीडियो में विधायक साफ तौर पर कहते सुनाई दे रहे हैं:
“तुम्हें नौकरी करना सिखा देंगे, देख लेंगे तुम्हें, ये वादा है मेरा…”
साथ ही, वह जिलाधिकारी को भी अक्षम बताते हुए प्रशासन को किसी “मुहिम” का हिस्सा बता रहे हैं।

संवैधानिक मर्यादाओं पर सवाल

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या कोई विधायक दूसरे विधानसभा क्षेत्र के प्रशासनिक अधिकारियों को इस तरह धमका सकता है? क्या यह आचरण लोकतांत्रिक व्यवस्था और संवैधानिक मर्यादाओं के अनुरूप है?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे बयानों से न सिर्फ प्रशासनिक कार्यों में हस्तक्षेप होता है, बल्कि जनप्रतिनिधियों की गरिमा भी सवालों के घेरे में आ जाती है।

जनता की प्रतिक्रियाएं

इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर काफी तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। लोग इसे सत्ता का दुरुपयोग और अधिकारियों को डराने की कोशिश करार दे रहे हैं। वहीं कुछ समर्थक विधायक को “जनता की आवाज़ उठाने वाला” बता रहे हैं।

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