बिहार

क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों को सार्वजनिक करेगा चुनाव आयोग? क्या है पूरा मामला?

SIR विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख मतदाताओं के नाम सार्वजनिकी करने का आदेश दिया। मामले के अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी।

बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के चलते 65 लाख नामों को मतदाता सूची से हटाए जाने को लेकर विपक्षी दल लगातार सवाल उठा रहे है और प्रदर्शन कर रहे है। इस पूरे विवाद के बीच गुरुवार 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश दिए है कि बिहार में ड्राफ्ट मतदाता सूची से हटाए गए सभी 65 लाख नामों को कारण के साथ सार्वजनिक किया जाए। कोर्ट में इस मुद्दे पर अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी।

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सुप्रीम कोर्ट ने क्या आदेश दिया?

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण(SIR) के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश देते हुए कहा कि ड्राफ्ट मतदाता सूची से हटाए गए सभी 65 लाख मतदाताओं के नामों की सूची मंगलवार 19 अगस्त तक जिला स्तर पर सार्वजनिक की जाए और प्रत्येक व्यक्ति के नाम के आगे प्रत्यलोपन का कारण भी स्पष्ट रूप से बताया जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने चुनाव आयोग से बूथ स्तर और जिला स्तर के अनुपालन अधिकारियों से अनुपालन रिपोर्ट लेने और दाखिल करने को कहा। कोर्ट ने साफ कहा कि आदेशों का पालन न होने पर कड़ी कार्यवाही की जायेगी। इस मामले में अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी।

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आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड होगी सूची

सुप्रीम कोर्ट ने इस सूची को जिला वार तरीके से संबंधित जिला निर्वाचन पदाधिकारियों की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कराए जाने के निर्देश दिए जिससे हर व्यक्ति इसे आसानी से पढ़ और समझ सके। इसके साथ ही कोर्ट ने इस सूची के प्रचार प्रसार के भी निर्देश दिए।

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पंचायत भवनों और कार्यालयों में भी मिलेगी सूची

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सभी मतदाताओं के नामों की बूथवार सूची राज्य के सभी पंचायत भवनों, ब्लॉक कार्यालयों और पंचायत कार्यालयों में भी चस्पा की जाए। ऐसा करने से ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे लोगों और इंटरनेट की सुविधा से वंचित लोग भी इस सूची को देख सकें।

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क्या है SIR विवाद?

बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के तहत चुनाव आयोग ने मतदाता सूची का पहला मसौदा पेश की जिसमें 65 लाख लोगों नाम हटाए गए थे। इसमें 7 लाख मतदाताओं के नाम दो या उसे अधिक जगह पंजीकृत थे, 22 लाख की मृत्यु हो चुकी थी और 36 लाख मतदाता दूसरी जगह स्थानांतरित हो चुके थे। इस पर विपक्षी दलों ने आरोप लगाए है कि इस प्रक्रिया में बड़ी संख्या में गड़बड़ी हुई जिसकी वजह से वास्तविक मतदाताओं के नाम भी गलत तरीके से हटा दिए गए हैं। इस पर चुनाव आयोग का कहना है कि यह पूरी तरह पारदर्शी प्रक्रिया है और किसी भी त्रुटि को सुधारने के लिए नागरिकों को पर्याप्त अवसर दिया जा रहा है।

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