उत्तरप्रदेश के लखनऊ के रहने वाले कैप्टन शुभांशु शुक्ला इन दिनों अंतरिक्ष यात्रा पर है। उन्होंने अंतरिक्ष में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से कुछ तस्वीरें धरती पर भेजी हैं। तस्वीरों में शुभांशु काफी खुश दिख रहे है। शुभांशु शुक्ला ISS के 7 खिड़कियों वाले कपोला मॉड्यूल से अंतरिक्ष के खूबसूरत नजारे का लुत्फ उठाते नजर आ रहे हैं। वहीं, कुछ अन्य तस्वीरों में वह ISS से अंतरिक्ष से धरती के नजरों की तस्वीर खींचते हुए भी दिखाई दिए। शुभांशु शुक्ला 26 जून को ISS पहुंचे थे और उन्होंने अपनी अंतरिक्ष यात्रा के 10 दिन पूरे कर लिए हैं। वह अंतरिक्ष में 14 दिन के मिशन पर गए हैं। वह ISS पहुंचने वाले पहले भारतीय हैं और राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय है। इस मिशन पर शुभांशु के साथ 4 अन्य एस्ट्रोनॉट भी गए है। शुभांशु Axiom Space के कमर्शियल मिशन Axiom-4 का हिस्सा बनकर अंतरिक्ष में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचे है।
ISRO, भारत सरकार और अमेरिकी स्पेस कंपनी Axiom ने अपने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट शेयर किए जिसमें ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और अंतरिक्ष के नजरों की बेहत खूबसूरत तस्वीरें साझा की गई है।
शुभांशु शुक्ला Axiom-4 मिशन का हिस्सा हैं, जिसकी एक सीट के लिए भारत ने 548 करोड़ रुपए चुकाए हैं। यह एक प्राइवेट स्पेस फ्लाइट मिशन है, जो अमेरिकी स्पेस कंपनी Axiom, NASA और SpaceX की साझेदारी से हो रहा है। यह कंपनी अपने स्पेसक्राफ्ट में निजी अंतरिक्ष यात्रियों को ISS भेजती है।
क्या है Axiom-4 mission का उद्देश्य
Axiom-4 मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में रिसर्च करना और नई टेक्नोलॉजी को टेस्ट करना है। ये मिशन प्राइवेट स्पेस ट्रैवल को बढ़ावा देने के लिए भी है और Axiom स्पेस प्लानिंग का हिस्सा है, जिसमें भविष्य में एक कॉमर्शियल स्पेस स्टेशन बनाने की योजना है। ISS में शुभांशु ने ऐसे प्रयोगों पर भी काम किया है जो भविष्य में चांद, मंगल समेत अन्य ग्रहों पर जीवन बिताने में बेहद अहम साबित हो सकते हैं। इसमें मांसपेशियों के कमजोर होने से लेकर, अंतरिक्ष में बीजों के अंकुरण, माइक्रो एल्गी से ऑक्सीजन और भोजन बनाने की संभावनाएं भी शामिल हैं। Axiom Space का कहना है इस मिशन में हड्डियों के निर्माण, सूजन और वृद्धि से संबंधित जैविक मार्कर का विश्लेषण करके, शोधकर्ता एक ‘डिजिटल ट्विन’ का निर्माण कर रहे हैं। सभी अंतरिक्ष यात्रियों ने आईएसएस पर हड्डियों के प्रयोग में भी हिस्सा लिया, जिससे यह जानकारी मिली कि अंतरिक्ष में हड्डियां किस प्रकार खराब होती हैं और पृथ्वी पर वापस आने पर वे किस प्रकार ठीक हो जाती हैं। ये मिशन कई मायनों में एहम है।
अंतरिक्ष से वापस लौटकर शुभांशु ISS में इंडियन एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स के साथ प्रयोग करेंगे। इनमें ज्यादातर बायोलॉजिकल स्टडीज हैं। शुभांशु NASA के साथ 5 अन्य प्रयोग करेंगे, जिसमें लंबे अंतरिक्ष मिशन के लिए डेटा जुटाएंगे। शुभांशु द्वारा इस मिशन के दौरान किए गए प्रयोग भारत के गगनयान मिशन को मजबूत करेंगे जिसकी 2027 में लॉन्च होने की संभावना है।