
देश भर में हर वर्ष कई सरकारी परीक्षाएं आयोजित होती है। इन सरकारी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे लाखों उम्मीदवारों के लिए सरकारी नौकरी एक सपना होती है। ऐसी ही एक सरकारी परीक्षा है कर्मचारी चयन आयोग (SSC) की जो इन दिनों विवादों से घिरी हुई। 24 जुलाई से 1 अगस्त 2025 के बीच आयोजित “SSC Selection Post Phase 13” की परीक्षा में अराजकता ने इस परीक्षा की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस परीक्षा को लेकर विवाद तब गर्माया जब छात्र और शिक्षक इस परीक्षा के खिलाफ दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे थे जिसके चलते पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया।
क्या है पूरा मामला
SSC की सिलेक्शन पोस्ट फेज 13 की परीक्षाओं में अराजकता पाई गई है। छात्रों का आरोप है कि SSC की परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी, बार-बार परीक्षाओं का रद्द होना, तकनीकी खामियां आना, उत्तर कुंजी में अनेक त्रुटियाँ आना, परीक्षा केंद्रों पर छात्राओं को रात 10 बजे तक रोके रखे जाना शामिल है। छात्रों द्वारा परीक्षा में आ रही इन सभी कमियों के खिलाफ आवाज उठाते हुए #SSCMismanagement और #SSCVendorFailure जैसे हैशटैग सोशल मीडिया पर चलाए जा रहे है। इसके अलावा छात्रों ने दिल्ली, लखनऊ, इंदौर, कोलकाता और पटना समेत देश के कई राज्यों में इस परीक्षा के खिलाफ प्रदर्शन भी किया। ऐसा ही एक प्रदर्शन दिल्ली में भी हुआ।
31 जुलाई को “दिल्ली चलो” मार्च के चलते हजारों छात्रों और शिक्षको ने शांतिपूर्ण ढंग से जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया। जब तक जंतर मंतर में प्रदर्शन चला तब तक सब ठीक था लेकिन जैसे ही प्रदर्शनकारी केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) कार्यालय तरफ आगे बढ़ना शुरू हुए पुलिस ने उन्हें रोका और उन पर बलपूर्वक लाठीचार्ज किया। इसके बाद पुलिस ने शिक्षकों और छात्रों को हिरासत में ले लिया। पुलिस द्वारा किया गया यह व्यवहार सरा सर अमानवीय था।
क्या है छात्रों की मांग
छात्रों की मांग है कि SSC परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित की जाए और उत्तर कुंजी और परिणामों की पुनः समीक्षा के लिए एक स्वतंत्र तकनीकी समिति का गठन हो। परीक्षा में गड़बड़ी या परीक्षा केंद्र में कमी आने से प्रभावित उम्मीदवारों को मुआवजा दिया जाए या उनकी दोबारा परीक्षा आयोजित की जाए। इसके साथ ही परीक्षा प्रक्रिया में शामिल सभी निजी एजेंसियों की भूमिका की भी जांच हो और छात्राओं की सुरक्षा से संबंधित सभी घटनाओं की स्वतंत्र जांच कर जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाए।
पुलिस ने शिक्षकों को हिरासत में लिया
प्रदर्शन में शामिल हुए शिक्षकों और छात्रों के लिए दिल्ली पुलिस बसें लाईं गई और उन्हें बस में भर कर थाने ले जाया गया। इन शिक्षकों में नीतू सिंह, राकेश यादव, आदित्य रंजन समेत कई शिक्षक मौजूद थे। शिक्षकों ने पुलिस पर आरोप लगाया कि पुलिस द्वारा उनके साथ अभद्र व्यवहार किया गया। हालांकि बाद में शिक्षकों और छात्रों को हिरासत से रिहा कर दिया गया लेकिन पुलिस का ऐसा व्यवहार निंदनीय है।