उत्तर प्रदेश

Banke Bihari Corridor तो बनेगा, जिन्हें दिक्कत है वो वृंदावन छोड़ दें – हेमा मालिनी का बयान वायरल, बढ़ा विरोध

वृंदावन में प्रस्तावित श्री बांकेबिहारी मंदिर कॉरिडोर ( Banke Bihari Corridor ) को लेकर लंबे समय से विवाद और असहमति का माहौल बना हुआ है। प्रशासन एक ओर जहां इस महत्वाकांक्षी परियोजना को मूर्त रूप देने की तैयारियों में जुटा है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों और सेवायतों में इसके खिलाफ नाराज़गी साफ देखी जा सकती है। अब इस विवाद को और हवा दी है मथुरा से बीजेपी सांसद और फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी के एक बयान ने।

Banke Bihari Corridor

हेमा मालिनी के बयान से भड़का जनाक्रोश

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में हेमा मालिनी कहती नज़र आ रही हैं,

“कॉरिडोर तो बनकर रहेगा और जरूर बनकर रहेगा। जिसे परेशानी है, वह वृंदावन छोड़कर कहीं और चला जाए।”

यह बयान जैसे ही सामने आया, ब्रज क्षेत्र में गुस्से की लहर दौड़ गई। लोगों ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं दीं और सांसद के बयान को स्थानीय भावनाओं की अवहेलना बताया।

विरोध के सुर फिर हुए मुखर

बांकेबिहारी मंदिर कॉरिडोर ( Banke Bihari Corridor ) का प्रस्ताव जैसे ही सामने आया था, तभी से स्थानीय नागरिक, व्यापारी और सेवायत इस पर विरोध जताते आ रहे हैं। कभी यह विरोध शांत हुआ तो कभी फिर से भड़क उठा। अब हेमा मालिनी के बयान के बाद यह मामला फिर सुर्खियों में है। कई स्थानीय संगठनों ने उनके बयान को असंवेदनशील और अपमानजनक बताया है।

क्या है कॉरिडोर योजना?

प्रस्तावित श्री बांकेबिहारी कॉरिडोर ( Banke Bihari Corridor ) का उद्देश्य मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करना और दर्शन की व्यवस्था को सुगम बनाना है। इस परियोजना की आधारशिला 2023 में कराए गए सर्वे पर टिकी है। उस सर्वे में लगभग 275 भवनों और दुकानों को कॉरिडोर क्षेत्र में चिन्हित किया गया था।

अब जब सुप्रीम कोर्ट से इस परियोजना को मंजूरी मिल चुकी है, जिला प्रशासन ने फिर से भवनों का सत्यापन शुरू कर दिया है। एडीएम एफआर डॉ. पंकज वर्मा के अनुसार, अब तक 70 भवनों का पुनः सर्वे किया जा चुका है। टीम डोर-टू-डोर जाकर भवनों की स्थिति, आकार, स्वामित्व, किरायेदारों की जानकारी आदि इकट्ठा कर रही है।

निष्कर्ष

कॉरिडोर ( Banke Bihari Corridor )  परियोजना एक ओर जहां तीर्थयात्रियों के लिए राहत की बात है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों के लिए अपने घर और व्यवसाय को खोने जैसा संकट है। ऐसे में सांसद हेमा मालिनी का बयान न सिर्फ विवाद को बढ़ावा देता है बल्कि जनता और प्रशासन के बीच संवाद की खाई को और गहरा कर सकता है। आने वाले दिनों में देखना होगा कि प्रशासन स्थानीय लोगों की भावनाओं को समझते हुए किस तरह संतुलन बनाता है।

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