
भारत के विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर ने गुरुवार 21 अगस्त को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मॉस्को में मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापार को महत्व देने पर चर्चा हुई। यह मुलाकात उस वक्त हुई जब अमेरिका रूस से कच्चा तेल खरीदने पर भारत पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा कर चुका हैं। विदेश मंत्री के पहले भारत के सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी रूस के राष्ट्रपति से मुलाकात कर चुके है और उन्होंने जल्द ही रूस के राष्ट्रपति के भारत आने की भी बात कही थी।
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भारत नहीं है कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार
विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर तीन दिवसीय दौरे पर रूस की राजधानी मॉस्को पहुंचे है। इस दौरान उन्होंने 26वीं भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की सह-अध्यक्षता की और भारत और रूस व्यापार मंच को संबोधित किया। इस दौरान एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद रूस-भारत के संबंधों में आई स्थिरता और व्यवहार से जुड़े मुद्दों पर बात की। इस दौरान ट्रंप के टैरिफ पर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुई विदेश मंत्री ने कहा कि भारत रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार नहीं है। रूस से सबसे ज्यादा तेल चीन खरीदता है। एलएनजी का भी सबसे बड़ा खरीदार भारत नहीं है बल्कि यूरोपीय संघ है। उन्होंने कहा कि रूस के साथ सबसे ज्यादा व्यापार करने वाला देश भी भारत नहीं है कई और देश है जो हमसे ज्यादा व्यापार करते है। कुछ समय पहले अमेरिका ने हमसे कहा था कि वैश्विक ऊर्जा बाजार में स्थिरता लाने के लिए हर संभव प्रयास करना जरूरी है जिसमें रूस से तेल खरीदना शामिल है इसलिए हम अमेरिका के भारत पर 50% टैरिफ लगाने के तर्क से बहुत हैरान है।
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राष्ट्रपति पुतिन से मिले एस. जयशंकर
रूस पहुंचकर विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की और अपनी इस मुलाकात की कुछ तस्वीरें X अकाउंट पर सजा करते हुए लिखा कि “आज क्रेमलिन में राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात कर सम्मानित महसूस कर रहा हूँ। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हार्दिक अभिवादन उन तक पहुँचाया। प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ हुई चर्चा से उन्हें अवगत कराया। वार्षिक नेताओं के शिखर सम्मेलन की तैयारियाँ अच्छी तरह चल रही हैं। वैश्विक स्थिति और यूक्रेन के हालिया घटनाक्रम पर उनके साझा दृष्टिकोण के लिए मैं आभारी हूँ।”
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