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रामपुर में सलमा की मौत ने उठाए सवाल — कब्र से शव निकाला, इमाम पति पर हत्या का आरोप

रामपुर, उत्तर प्रदेश में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है जहाँ पर 15 दिन पहले दफनाई गई सलमा का शव पुलिस ने कब्र से निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवाई हैं

रामपुर, उत्तर प्रदेश में सलमा की मौत का मामला सनसनीखेज मोड़ पर है।

15 दिन पहले दफनाई गई सलमा का शव पुलिस ने कब्र से निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा, क्योंकि उसके पति इमाम बशीर अहमद पर हत्या के गंभीर आरोप लगे हैं।

मामले की शुरुआत कैसे हुई?

सलमा की मौत को पहले सामान्य मानकर दफना दिया गया था

केस ने तब बड़ा मोड़ लिया जब सलमा की 7 साल की बेटी ने अपने मामा से बताया कि उसकी मां की मौत अचानक नहीं हुई थी।

इस बयान के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कब्र से शव निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया, जिससे पूरे इलाके में हलचल मच गई।

क्या हैं आरोप?

परिजनों का आरोप है कि सलमा की हत्या उसके पति बशीर अहमद ने की, जो एक मदरसे में इमाम हैं।

उनका दावा है कि सलमा को तेजाब पिलाया गया और सूजे से गोदकर जान ली गई।

इसके बाद शव को बिना पोस्टमार्टम कराए चुपचाप दफनाया गया, जिससे मामला और रहस्यमय बन गया है।

अन्य गंभीर आरोप

सलमा के परिवार ने बशीर पर दहेज उत्पीड़न, विवाहेतर संबंध (अफेयर) और यौन शोषण जैसे कई आरोप लगाए हैं।

उनका यह कहना है कि सलमा कई महीनों से मानसिक और शारीरिक अत्याचार झेल रही थी।

पुलिस की कार्रवाई

छत्तीसगढ़ पुलिस की सूचना पर रामपुर पुलिस ने मामला दर्ज किया था ।

विशेष अनुमति के तहत सलमा की कब्र खोली गई थी और शव को पोस्टमार्टम के लिए तुरंत भेजा गया ।

पुलिस ने जांच को तेज़ कर दिया है और बशीर अहमद को मुख्य आरोपी के रूप में देख रही है।

परिवार की मांग

सलमा के परिजन मांग कर रहे हैं कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा मिले।

उनका आरोप है कि सलमा कई बार मदद की गुहार लगाती रही, लेकिन उसकी शिकायतें अनसुनी कर दी गईं।

समाज में हलचल

यह मामला रामपुर में सामाजिक और धार्मिक मूल्यों को झकझोर देने वाला बन चुका है।

एक धार्मिक पद पर आसीन व्यक्ति पर हत्या के आरोपों ने लोगों को गहरे आक्रोश में डाल दिया है।

नागरिक समाज सलमा को न्याय दिलाने के साथ-साथ महिला सुरक्षा की व्यवस्था में ठोस बदलाव की मांग कर रहा है।

निष्कर्ष

सलमा की मौत ने समाज और व्यवस्था को झकझोर दिया है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या हमारी प्रणाली पीड़ितों की आवाज़ को समय पर और गंभीरता से सुन पाती है?

अब पुलिस पर ज़िम्मेदारी है कि वह सच सामने लाए और न्याय सुनिश्चित करे। पूरा समाज निष्पक्ष जांच और सलमा को न्याय दिलाने की उम्मीद लगाए बैठा है।

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