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प्रारंभ हुई “श्री बूढ़ा अमरनाथ यात्रा”, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हरी झंडी दिखाकर तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को किया रवाना!

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को श्री बूढ़ा अमरनाथ यात्रा के उद्घाटन में भाग लिया और तीर्थयात्रियों का स्वागत किया। उपराज्यपाल ने 28 जुलाई को सुबह पांच बजे जम्मू से पुंछ की लोरन मंडी स्थित बाबा बूढ़ा अमरनाथ जाने वाले तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। श्री बूढ़ा अमरनाथ मंदिर की ये 10 दिवसीय यात्रा 28 जुलाई से 7 अगस्त तक चलेगी। यात्रा के उद्घाटन के दौरान सभा को संबोधित करते हुए मनोज सिंह ने श्रद्धालुओं, बाबा अमरनाथ और बूढ़ा अमरनाथ यात्री न्यास, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, यात्रा की तैयारियों और प्रबंधन में शामिल सभी लोगों को बधाई और शुभकामनाएं दीं।

यात्रा पर क्या बोले उपराज्यपाल

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बाबा अमरनाथ और बूढ़ा अमरनाथ यात्री न्यास, पर्यटन विभाग, जिला प्रशासन, अन्य हितधारकों और लंगर सेवा देने वाले संगठनों द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की उन्होंने आगे कहा कि मुझे उम्मीद है कि पूरे देश से तीर्थयात्री श्री बूढ़ा अमरनाथ का दर्शन करने आएंगे और भगवान भोलेनाथ से जम्मू-कश्मीर एवं राष्ट्र की शांति और प्रगति के लिए प्रार्थना करेंगे। उपराज्यपाल ने कहा की “आज बूढ़ा अमरनाथ यात्रा के लिए 1000 से अधिक तीर्थयात्री रवाना हुए है। देशभर से तीर्थयात्री यहां पर आए हुए हैं। सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। अब तक लगभग 3.77 लाख से अधिक श्रद्धालु पवित्र अमरनाथ यात्रा पूरी कर चुके हैं। मै श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए समर्पित प्रयास करने के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन का आभारी हूं।”

क्या है श्री बूढ़ा अमरनाथ यात्रा में खास ?

श्री बूढ़ा अमरनाथ को लेकर मान्यता है कि अमरनाथ यात्रा तब तक पूरी नहीं मानी जाती है जब तक श्रद्धालु बूढ़ा अमरनाथ का दर्शन न कर लें। बूढ़ा अमरनाथ के शिवलिंग को ‘बाबा चट्टानी’ कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों के मन की सभी मुरादे पूरी होती है। भगवान शिव को समर्पित बूढ़ा अमरनाथ मंदिर पुंछ की मंडी तहसील के राजपुरा गांव में स्थित है, जो जम्मू क्षेत्र के सबसे प्राचीन तीर्थस्थलों में से एक है और यात्रा के दौरान यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यह तीर्थयात्रा पुंछ के दशनामी अखाड़ा से छड़ी मुबारक के मंदिर में पहुंचने के साथ संपन्न होती है। इस यात्रा को बजरंग दल ने 2005 में अल्पसंख्यक हिंदू समाज का मनोबल बढ़ाने के लिए शुरू किया था।

 

 

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