APS भर्ती परीक्षा भ्रष्टाचार मामले में UPPSC अफसरों कि जांच करेगी CBI, आयोग ने दी जांच की अनुमति!
UPPSC द्वारा आयोजित APS भर्ती परीक्षा में हुई धांधली की जांच अब CBI करेगी। साढ़े चार साल बाद अब आयोग ने CBI को जांच की अनुमति दे दी हम

वर्ष 2010 में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC)द्वारा आयोजित अपर निजी सचिव (APS) भर्ती में हुए कथित भ्रष्टाचार के मामले में तीन अफसरों के खिलाफ जांच की शुरू करने की अनुमति अब CBI को दे दी गई है। पहले आयोग ने CBI को जांच की अनुमति नहीं दी थी लेकिन अब अनुमति मिलने के बाद CBI इस मामले से जुड़ी हर संभव जानकारी निकालकर उसकी बारीकी से जांच करेंगी। अभ्यार्थियों ने इस परीक्षा पर सवाल उठते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसके बाद सरकार ने इस मामले की सीबीआई जांच करने के आदेश दिए थे।
यह भी पढ़ें: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आम जनता के लिए खुलेंगे दिल्ली विधानसभा के दरवाजे।
क्या है पूरा मामला ?
उत्तर प्रदेश सरकार ने 4 सितंबर 2018 में APS भर्ती परीक्षा 2010 को अनियमिताओं को देखते हुए इस परीक्षा की सीबीआई जांच की संस्तुति की थी। सीबीआई ने जांच में पाया था कि शॉर्ट हैंड और टाइपिंग टेस्ट में 5% गलती की सीमा पर्याप्त उम्मीदवारों को मिलने बाद भी आयोग ने अपने विशेषाधिकारी का प्रयोग कर 3% अतिरिक्त गलती की छूट दी थी और 331 अभ्यर्थियों को तीसरे चरण के लिए क्वालीफाई किया था जिसका कोई औचित्य नहीं था। सीबीआई को अपनी जांच में तीन अफसरों के खिलाफ परीक्षा में अनियमिताओं के खिलाफ सबूत मिले थे। सीबीआई ने आयोग से सेवानिवृत्ति संयुक्त सचिव विनोद कुमार सिंह, सेवानिवृत्ति सिस्टम एनालिसिस गिरीश गोयल सेवानिवृत्ति समीक्षा अधिकारी लाल बहादुर पटेल के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम 1988 की धारा 17ए के तहत जांच की मांगी की थी। 2020 में नियुक्त विभाग ने परीक्षा नियंत्रक के खिलाफ जांच करने की अनुमति दे दी थी लेकिन आयोग ने अपने तीन अफसरों की जांच की अनुमति नहीं दी थी। आयोग लगातार अनुमति देने से इंकार करता रहा जिसके बाद सीबीआई ने इस मामले में 4 अगस्त 2021 को नियंत्रक के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी।
यह भी पढ़ें: नया इनकम टैक्स बिल 2025 हुआ पास, जाने किसको कितना मिलेगा फायदा।
पत्र के बाद मिली जांच की अनुमति
सीबीआई निर्देशक ने 26 मई 2026 को मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश को पत्र लिखकर मामले की जांच की अनुमति दिलाने का अनुरोध किया था। 30 दिन में अनुमति न मिलने पर जांच को बंद कराने की चेतावनी भी दी गई थी। पत्र मिलने के बाद शासन हरकत में आया और आयोग से जवाब मांगा। आयोग ने 25 जून को सीबीआई को जांच करने की अनुमति दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट में दर्ज हलफनामे में इस बात की जानकारी दी गई।
यह भी पढ़ें:
- सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर भेजने का दिया आदेश, फैसले के खिलाफ इंडिया गेट पर हुआ प्रदर्शन।
- SIR के खिलाफ इंडिया गठबंधन के सांसदों ने संसद से EC कार्यालय तक निकाला मार्च।