फिरोजाबाद में आयोजित PDA जन चौपाल कार्यक्रम के दौरान समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन ने मीडिया से बातचीत में कई मुद्दों पर खुलकर बयान दिए। उन्होंने इटावा की हालिया घटना को लेकर फैलाए जा रहे जातीय संघर्ष के नैरेटिव को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि यह जातियों का नहीं, विचारों और मिजाजों का टकराव है।
“जात-पात के नाम पर राजनीति समाज को तोड़ने की साजिश है”
रामजीलाल सुमन ने स्पष्ट शब्दों में कहा:
“जाति के नाम पर राजनीति करने वाले लोग समाज को तोड़ना चाहते हैं। ये टकराव दो समाजों का नहीं, दो सोचों का है। जब पिछड़े और दलित भी गीता, भागवत और पुराण पढ़ने लगे, तो यह कुछ लोगों को खलने लगा। धर्म और जाति के ठेकेदारों को लगता है कि ये उनका अधिकार है – जबकि सच्चाई यह है कि समाज सबका है।”
“सोच और संस्कृति का संघर्ष है, न कि जातियों का”
इटावा की घटना को यादव और ब्राह्मण समाज से जोड़ने पर उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया दी:
“यह दो जातियों का टकराव नहीं, दो मिजाजों का टकराव है। यह संघर्ष हमारी सोच, संस्कृति और विचारधारा का है। कोई भी जाति विशेष धर्मग्रंथों पर एकाधिकार नहीं रखती। जब दलित और पिछड़े वही ज्ञान अर्जित करते हैं तो इसे अपराध की तरह क्यों देखा जाता है?”
क्या चुनावों में बढ़ेगी जात-पात की राजनीति?
उत्तर प्रदेश और बिहार में आगामी चुनावों पर सवाल पूछे जाने पर सांसद ने कहा:
“मैं जात-पात की राजनीति में विश्वास नहीं करता। राजनीति उसूलों और विचारों पर होनी चाहिए। समाजवादी पार्टी हमेशा से इस सिद्धांत पर काम करती रही है और आगे भी करेगी।”
क्या S.P. लड़ेगी बिहार चुनाव?
रामजीलाल सुमन ने इस पर जवाब देते हुए कहा:
“यह फैसला पार्टी का संसदीय बोर्ड करेगा, लेकिन हम चाहेंगे कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) को पूरे देश में हराने में समाजवादी पार्टी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाए।”
आजम खान को लेकर बयान पर प्रतिक्रिया
जब मीडिया ने आजम खान की पत्नी के आरोप का जिक्र किया कि उन्हें अकेला छोड़ दिया गया, तो रामजीलाल सुमन ने व्यंग्य में कहा:
“आप लोग बहुत चालू हैं। आपने पत्नी का बयान सुन लिया, बेटे का क्यों नहीं? आजम खान के बेटे ने कहा है कि समाजवादी पार्टी ने उनके लिए जितनी कोशिशें की हैं, उसे बयान नहीं किया जा सकता।”
ब्राह्मण समाज की नाराजगी पर दो टूक
ब्राह्मण समाज का आरोप था कि अखिलेश यादव ने केवल यादव समाज के कथा वाचकों को बुलाया। इस पर सुमन ने सख्त लहजे में कहा:
“क्यों समझौता कराते? एक पक्ष पिट रहा है क्योंकि वह पिछड़ा और दलित है। क्या हम उन्हें सम्मान नहीं देंगे? अगर कोई जाति के नाम पर पीड़ित का विरोध करेगा, तो समाजवादी पार्टी उसका विरोध करेगी।”
कानून व्यवस्था पर सरकार को घेरा
जब विपक्ष द्वारा समाजवादी पार्टी पर जातीय संघर्ष भड़काने के आरोप पर सवाल हुआ, तो सुमन ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा:
“मैं इन आरोपों पर टिप्पणी नहीं करना चाहता। लेकिन सुप्रीम कोर्ट तक कह चुका है कि उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था बेहद खराब है। इससे बड़ा प्रमाण और क्या चाहिए सरकार की नाकामी का?”
चंद्रशेखर आजाद के नजरअंदाज होने पर प्रतिक्रिया
चंद्रशेखर आजाद को मंच पर बुलाए बिना कार्यक्रम में उपेक्षित किए जाने को लेकर सुमन ने कहा:
“मैं भले ही दूसरी पार्टी से हूं, लेकिन लोकतंत्र में इस तरह की घटनाओं का विरोध होना चाहिए।”
निष्कर्ष:
रामजीलाल सुमन के बयान यह साफ दर्शाते हैं कि समाजवादी पार्टी जातीय राजनीति की बजाय विचारधारा आधारित राजनीति को आगे बढ़ाना चाहती है। उन्होंने न केवल सत्ताधारी दल पर निशाना साधा, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि पिछड़े और दलित समाज के खिलाफ हो रहे अन्याय के खिलाफ वे हमेशा खड़े रहेंगे।