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“नाग पंचमी” पर करे इन नाग मंदिरों के दर्शन, होगा पापों का नाश और मिलेगी काल सर्प दोष से मुक्ति !

देश भर में आज मनाई जा रही है नाग पंचमी। नाग पंचमी पर नाग देवता के इन मंदिरों में जाकर करे दर्शन मिलेगी काल सर्प दोष से मुक्ति और पूरी होगी हर मनोकामना।

आज 29 जुलाई को हर जगह नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जा रहा है। नाग पंचमी के दिन भक्त नाग देवता को दूध चढ़ाते हैं और उनका आर्शीवाद लेते हैं। आज के दिन लोग मंदिरों में जाकर भगवान शिव के साथ नाग देवता की भी पूजा करते हैं। नागपंचमी तिथि की शुरुआत 28 जुलाई की रात 11:24 बजे से श्रावण शुक्ल पंचमी तिथि से आरंभ होकर 30 जुलाई की सुबह 12:46 बजे तक रहेगी। आज यहां हम आपको ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां के दर्शन मात्र से पाप का नाश होता है। इसके अलावा यहां के मंदिरों के दर्शन से कालसर्प के दोष से भी मुक्ति मिलती है।

नाग वासुकी मंदिर, प्रयागराज

प्रयागराज में गंगा के तट पर स्थित प्राचीन नागवासुकी मंदिर का पौराणिक ग्रंथों में जिक्र है।नागवासुकी मंदिर कालसर्प दोष निवारण के लिए प्रसिद्ध है। हर साल सावन मास में यहां पर भक्तों का भारी भीड़ उमड़ती है। मान्यता है कि नागपंचमी के अवसर पर यहां पूजा अर्चना करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। श्रद्धालु सर्पदोष से मुक्ति पाने के लिए नागवासुकि महाराज का दर्शन करने

तक्षकेश्वरनाथ मंदिर, प्रयागराज

तक्षकेश्वर नाथ मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रयाग जिले में यमुना नदी के किनारे दरियाबाद में स्थित है। मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण द्वारा मथुरा से भगाये गए तक्षक नाग ने इसी कुंड में आकार शरण ली थी। ऐसा कहा जाता है कि सतयुग के श्री शेषनाग, त्रेतायुग के अनंतनाग, द्वापर में श्री वासुकी और कलयुग में तक्षक नाग ही प्रमुख पूजनीय हैं। पद्म पुराण के अनुसार अगहन और श्रावण मास की पंचमी को तक्षक कुंड में स्नान कर भगवान तक्षकेश्वरनाथ की पूजा करने से समस्त कुल की विषबाधा दूर हो जाती है।

शेषनाग मंदिर, जम्मू-कश्मीर

शेषनाग मंदिर मानसर झील के पूर्वी तट पर स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर शेषनाग को समर्पित है। मान्यता है कि जो कोई भी मानसर झील के पवित्र जल में डुबकी लगाता है वह शुद्ध हो जाता है। ऐसा कहा जाता है जब शिवजी, पार्वती को अमरकथा सुनाने अमरनाथ ले जा रहे थे, तो उनका इरादा था कि इस कथा को कोई ना सुन। इस कारण उन्होनें अपने असंख्य सांपों-नागों को अनन्तनाग में छोड दिया था लेकिन अभी भी उनके साथ शेषनाग था जिसे उन्होनें इस झील में छोड दिया। अभी भी झील के पानी में शेषनाग दिखाई देते है।

नागचंद्रेश्वर मंदिर, उज्जैन

उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक प्रतिमा है, इसमें फन फैलाए नाग मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में शिवजी, गणेशजी और मां पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं। कहा जाता है कि सर्पराज तक्षक ने शिवशंकर को मनाने के लिए घोर तपस्या जिससे भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया। इस मंदिर में दर्शन करने के बाद व्यक्ति किसी भी तरह के सर्पदोष से मुक्त हो जाता है। ये मंदिर सिर्फ नागपंचमी के दिन खुलता है इसलिए नागपंचमी के दिन खुलने वाले इस मंदिर के बाहर भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है।

कर्कोटक नागराज मंदिर, भीमताल

उत्तराखंड के भीमताल के पास कर्कोटक पहाड़ी पर स्थित कर्कोटक नाग मंदिर के काफी प्रसिद्ध हैं और हजारों तीर्थयात्री यहां नाग देवता और नाग कर्कोटक महाराज की पूजा करने आते हैं। कर्कोटक महाराज को भीमताल का रक्षक माना जाता है। कर्कोटक नाग स्कंद पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में वर्णित प्रमुख नाग देवताओं में से एक थे। माना जाता है कि देवता नकारात्मक ऊर्जाओं और सर्पदंश से भी बचाते हैं। भक्त अक्सर मंदिर में प्रसाद के रूप में दूध, हल्दी और फूल ले जाते हैं।

मन्नारशाला मंदिर केरल

केरल के मन्नारशाला मंदिर में 100,000 से अधिक सर्प प्रतिमाएं स्थापित हैं। यह मंदिर नागराज और उनकी अर्धांगिनी नागायक्षी देवी को समर्पित है। यहां नागराज और देवी नागयक्षी की अनोखी प्रतिमा स्थापित है। मंदिर की खास बात यह है कि यहां की पुजारी एक महिला होती है, जिन्हें मन्नारसाला अम्मा के नाम से जाना जाता है। मन्नारसला मंदिर के रास्ते और पेड़ों पर लगभग 30,000 से अधिक सांपों के चित्र बनाए गए हैं। इस मंदिर में पूजा करना बच्चे की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए फलदायी माना जाता है।

 

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