सावन 2025 का पवित्र महीना 11 जुलाई से 9 अगस्त से शुरू है, 13 जुलाई को शनि देव मीन राशि में वक्री हो जाएंगे और यह स्थिति 28 नवंबर तक बनी रहेगी। सावन का समय वैसे तो शिव भक्ति, व्रत और आत्मचिंतन का होता है, लेकिन इस बार सावन में शनि की उल्टी चाल से कुछ राशियों के लिए कर्मों की परीक्षा लेकर आ रहा हैं।
मेष राशि
शनि के बारहवें भाव में वक्री होने से मेष राशि वालों को अवचेतन डर, एकांत और भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यह आत्मचिंतन का समय है—भीतर की उलझनों को सुलझाने और पछतावे को छोड़ने का। स्वास्थ्य या पारिवारिक खर्च अचानक बढ़ सकते हैं। सोमवार को शिव पूजा या ध्यान से मानसिक स्थिरता मिलेगी।
मिथुन राशि
शनि के दसवें भाव में वक्री होने से मिथुन राशि के करियर और प्रतिष्ठा पर असर पड़ सकता है। काम में ठहराव या कम सराहना महसूस हो सकती है। सावन का समय आत्ममंथन और लक्ष्य पुनः निर्धारण के लिए अनुकूल है। धैर्य रखें—शनि दूरदर्शिता वालों को फल देते हैं।
सिंह राशि
शनि के आठवें भाव में वक्री होने से सिंह राशि में भावनात्मक उतार-चढ़ाव और रिश्तों में तनाव संभव है। छिपे हुए मुद्दे, ऋण या विरासत जैसे मामले सामने आ सकते हैं। सोमवार को शिव अभिषेक और “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे” मंत्र का जाप करने से मानसिक संतुलन बना रहेगा।
मकर राशि
शनि के तीसरे भाव में वक्री होने से मकर राशि वालों को आत्मविश्वास में कमी और संचार में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। गलतफहमियाँ और रुकी हुई योजनाएँ परेशान कर सकती हैं। मंत्र जाप और रिश्तों की मरम्मत से मानसिक स्पष्टता और स्थिरता मिलेगी।
कुंभ राशि
शनि के दूसरे भाव में वक्री होने से कुंभ राशि वालों को आय में देरी और अचानक खर्चों का सामना करना पड़ सकता है। यह आत्म-मूल्य और वित्तीय समझ को फिर से परखने का समय है। आवेश में बोलने या खर्च करने से बचें। सावन में भोजन दान, मौन अभ्यास या गायों को चारा देना शनि के प्रभाव को शांत करने में मदद करेगा।
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