रूस में भारतीय पर्यटकों के साथ बहुत बुरा बर्ताव होने की खबर सामने आई है। घटना अमित कुमार नाम एक व्यक्ति के द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से सांझा की है। अमित तंवर ने सोशल मीडिया पर रूस में अपने साथ हुए बर्ताव के अनुभव के बारे में बताया है।
इंस्टाग्राम पोस्ट के माध्यम से अमित तंवर ने अपने साथ ही घटना सांझा की। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से इसपर कदम उठाने का आग्रह किया। भारत और रूस के मजबूत संबंध को मिथक बताया।
पोस्ट के अनुसार, 8 जुलाई को अमित अपने पर्यटक समूह के साथ रूस की राजधानी मास्को पहुंचे थे। समूह में कुल 12 लोग थे, जिनमें से केवल 3 लोगों को ही मास्को आव्रजन विभाग ने मंजूरी दी थी। बाकी 9 लोगों को कोई स्पष्टीकरण दिए बजना ही रोक लिया गया।
तंवर ने बताया कि अधिकारियों ने उनसे उनका पासपोर्ट ने लिया और एक कोने में बिठा दिया, जहां और भी भारतीय बैठे थे। बाद में उन्हें एक अलग कमरे में लेजाया गया, जहां उनकी जांच की गई।
अधिकारियों ने की जांच
जांच में अधिकारियों ने उनके मोबाइल फ़ोन की जाँच की, “जिसमें फ़ोटो गैलरी, गूगल सर्च हिस्ट्री और यूट्यूब एक्टिविटी भी शामिल थी, लगभग 10-15 मिनट तक। उसके बाद मौजूद सभी दस्तावेज़ों, यात्रा कार्यक्रमों और नकदी की भी जाँच की।
अलग कमरे में रखा गया
पूरी जांच खत्म करने के बाद अधिकारियों ने समूह को बताया कि उन्हें निर्वासित किया जा रहा है। उसके बाद सभी को एक अलग कमरे में कमरे में लेकर गए, जहां जो पहले से ही काफी लोग भरे हुए थे। कमरे में मौजूद कुछ लोगों ने दावा किया कि उन्हें वहाँ 2-3 दिन तक रखा गया था।
व्यक्ति द्वारा किए गए दावे के अनुसार, रूसी अधिकारियों ने निर्वासन के कारण या उनकी वर्तमान स्थिति के बारे में कोई स्पष्ट सूचना या जानकारी नहीं दी। उन्हें केवल एक छोटे से, बंद कमरे में बंद कर दिया गया। उन्हें कोई बुनियादी सहायता भी नहीं दी गई। उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया।
तंवर ने बताया कि रूसी अधिकारी उन्हें सीधा वापस भेजने की जगह अज़रबैजान के बाकू होते हुए वापस भेज रहे हैं। उन्हें वहां भी इसे व्यवहार का डर है।
खाने में केवल चावल और थोड़ी सब्जी
रूसी अधिकारियों द्वारा परोसे गए खाने की तस्वीर भी साझा की। खाने में थोड़े से चावल और उबली हुई सब्ज़ियाँ थीं। उन्हें दिन में सिर्फ़ दो बार खाना और 500 मिलीलीटर की पानी की बोतल दी गई।
उन्होंने कहा, “हम यहां फंसे हुए हैं और पता नहीं कब तक रहना होगा। 2-3 दिन या शायद 4-5 दिन भी लग सकते हैं… हम यहां के अधिकारियों से इतने डरे हुए है कि बोलने में भी हिचकिचा रहे हैं।