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भारत को BRICS से क्या फायदा? ब्राजील में PM मोदी की मौजूदगी क्यों अहम?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में आयोजित 17वें BRICS शिखर सम्मेलन 2025 में हिस्सा ले रहे हैं। इससे पहले वे घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो और अर्जेंटीना की यात्रा पूरी कर चुके हैं। BRICS सम्मेलन में उनकी यह उपस्थिति भारत की वैश्विक रणनीति, आर्थिक साझेदारी और कूटनीतिक मजबूती का प्रमाण मानी जा रही है।

BRICS क्या है?


BRICS पांच उभरती अर्थव्यवस्थाओं—ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका—का एक अंतरराष्ट्रीय मंच है, जिसकी औपचारिक शुरुआत 2006 में हुई थी। बाद में 2010 में दक्षिण अफ्रीका को शामिल किया गया। 2024-25 में संगठन का दायरा और बढ़ा, जिसमें सऊदी अरब, ईरान, मिस्र, इथोपिया, यूएई और इंडोनेशिया को भी सदस्यता दी गई। अब यह समूह 11 स्थायी सदस्य देशों और कई सहयोगी देशों के साथ विश्व की करीब 40% आबादी और 30% GDP का प्रतिनिधित्व करता है।

भारत के लिए क्यों जरूरी है BRICS?


BRICS मंच भारत को विकासशील देशों के साथ आर्थिक सहयोग, व्यापार और रणनीतिक संवाद का मौका देता है। भारत की वैश्विक भूमिका को विस्तार देने के लिए यह संगठन बेहद जरूरी बन चुका है। प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी इस बात का संकेत है कि भारत अब केवल सहभागिता करने वाला देश नहीं, बल्कि नेतृत्व करने वाला राष्ट्र बन चुका है।

भारत BRICS के जरिए वैश्विक व्यवस्था में बहुध्रुवीयता को बढ़ावा देता है। पश्चिमी देशों के वर्चस्व वाले मंचों की तुलना में BRICS एक विकासशील और तटस्थ वैश्विक आवाज प्रदान करता है। इसमें डॉलर के विकल्प के तौर पर साझा मुद्रा की भी चर्चा हो रही है, जिससे भारत जैसे देशों को विदेशी मुद्रा संकट से राहत मिल सकती है।

भारत की भूमिका और लाभ


भारत ने BRICS मंच पर आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक नीति, ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और डिजिटल भुगतान जैसे मुद्दों को मजबूती से उठाया है। भारत की UPI प्रणाली अब BRICS देशों में भी अपनाई जा रही है, जिससे भारतीय डिजिटल ताकत को वैश्विक मान्यता मिल रही है।

आगामी BRICS समिट 2026 भारत में प्रस्तावित है। ऐसे में पीएम मोदी की मौजूदा भागीदारी से यह संदेश जाता है कि भारत जिम्मेदारी उठाने और नेतृत्व देने के लिए पूरी तरह तैयार है।

इस बार किन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा?


रूस-यूक्रेन युद्ध, गाजा संघर्ष, ईरान-इजरायल तनाव और अमेरिकी टैरिफ नीतियों जैसे वैश्विक विषय इस सम्मेलन के एजेंडे में हो सकते हैं। साथ ही आतंकवाद पर भारत की स्थायी नीति को घोषणापत्र में स्थान मिलने की उम्मीद है।

अन्य खबरें: त्रिनिनाद और टोबैगो की यात्रा पूरी कर अर्जेंटीना पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी। राष्ट्रपति जेवियर माइली से मिलने की उत्सुकता की जाहिर।

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