अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को रूस ने आधिकारिक मान्यता दे दी है। रूस दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जिसने ऐसा किया। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी और अफगानिस्तान में रूस के राजदूत दिमित्री झिरनोव के बीच हुई बैठक के बाद की गई इस बात की घोषणा हुई। रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा की इस कदम से दोनों देशो के संबंधों को सकारात्मक सहयोग में मदद मिलेगी। वही तालिबान सरकार के विदेश मंत्री ने बैठक के बाद एक वीडियो जारी कर कहा की वह रूस के इस कदम का स्वागत करते है और इसे एक साहस भरा फैसला बताते हुए कहा की यह फैसला दूसरों के लिए एक मिसाल बनेगा। तालिबान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जिया अहमद तकाल ने भी पुष्टि करते हुए कहा कि रूस पहला देश है, जिसने इस्लामिक अमीरात को आधिकारिक मान्यता दी है। रूस के अफगानिस्तान मामलों के विशेष प्रतिनिधि जामिर काबुलोव ने रिया नोवोस्ती ने तालिबान सरकार को मान्यता देने की पुष्टि की।
रूस और अफ़ग़ानिस्तान के संबंध कुछ ख़ास अच्छे नहीं रहे है। रूस और अफ़ग़ानिस्तान का इतिहास संवेदनशील दोपक्षीय संबंधों में उलझा रहा है। अप्रैल 2025 में रूस ने तलिबान को अपनी आतंकी संगठनों की सूचि से हटाया है। खबरों की माने तो रूस के इस फैसले के बाद अब चीन भी तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता दे सकता है।
तालिबान की महिलाओ के प्रति कड़ी भेदभाव वाली नीतियों और अत्याचारों की वजह से कई सारे पश्चिमी देशो ने तालिबान से किनारा कर रखा था। तालिबान में महिलाओ के साथ हो रहे अत्याचारो और तालिबानी नेताओ की मनमानी की वजह से अफ़ग़ानिस्तान की छवि पूरी दुनिया में बिगड़ी हुई है। अफगानिस्तान में साल 2021 में तालिबान शासन लागू हुआ था। अमेरिकी सेना के देश छोड़ने के बाद तालिबानी नेताओं ने देश का नेतृत्व अपने हाथों में ले लिया। तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया था तब इसे भारत के लिए झटका माना जा रहा था। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में दोनों पक्षों के बीच संबंधों में काफी सुधार हुआ है। 15 मई 2025 को भारत और तालिबान में पहला संपर्क हुआ था, जिसमें भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से बात की थी।