ICICI Bank की पूर्व CEO चंदा कोचर की बढ़ी मुश्किल, रिश्वत लेने के मामले ठहराई गई दोषी!

ICICI Bank की पूर्व CEO चंदा कोचर को रिश्वत लेने के आरोप में दोषी पाया गया है। चंदा कोचर पर वोडियोकॉन ग्रुप को 300 करोड़ रुपये का लोन दिलाने के बदले 64 करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था जिसके बाद एक अपीलीय ट्रिब्यूनल ने कोचर को दोषी करार दिया है। ट्रिब्यूनल ने 3 जुलाई 2025 को दिए गए अपने आदेश में इस बात की पुष्टि कि थी कि यह मामला ‘quid pro quo’ यानी ‘किसी चीज के बदले लाभ लेने’ का एक उदाहरण है।
ट्रिब्यूनल ने क्या कहा
ED ने दावा किया था कि चंदा कोचर ने आईसीआईसीआई बैंक की आंतरिक नीतियों का उल्लंघन करते हुए 300 करोड़ रूपये का लोन पास किया जिसके बदले कोचर ने 64 करोड़ रूपये रिश्वत के रूप में लिए थे। ट्रिब्यूनल का कहना है कि कोचर ने अपने पद का गलत इस्तेमाल किया और अपने पति की वीडियोकॉन ग्रुप से कारोबारी नजदीकियों को छुपाया। यह सीधे तौर पर ICICI बैंक की ‘कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट’ नीति का उल्लंघन है। यह मामला ‘quid pro quo’ यानी ‘किसी चीज के बदले लाभ लेने’ का एक उदाहरण है। ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा कि ED ने PMLA एक्ट की धारा 50 के तहत दर्ज बयानों और सबूतों के आधार पर इस मामले को पुख्ता किया है जो कानूनी रूप से मान्य हैं। ट्रिब्यूनल ने कोचर पर लगे आरोपों को सही ठहराया और कोचर को दोषी करार दिया।
क्या है पूरा मामला
27 अगस्त 2009 को ICICI बैंक ने विडियोकॉन को ₹300 करोड़ का कर्ज दिया, जो बैंक की नीतियों और नियमों के ख़िलाफ़ था। लोन देने के अगले दिन विडियोकॉन की कंपनी SEPL ने दीपक कोचर की न्यू पावर रिन्यूएबल्स (NRPL) को ₹64 करोड़ ट्रांसफर कर दिए। जिसके बाद 2018 में चंदा कोचर के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे ICICI बैंक द्वारा वीडियोकॉन ग्रुप की कंपनियों को लोन देने में बरती अनियमितताओं और लोन के बदले रिश्वत लेने के आरोपों के बाद बैंक के बोर्ड से कोचर को इस्तीफा देना पड़ा था।
बैंक ने मई, 2018 में वीडियोकॉन ग्रुप को 3,250 करोड़ रुपये के लोन देने में कोचर की व्हीसल ब्लोअर से शिकायत मिलने के बाद उनके खिलाफ जांच शुरू की थी। CBI ने 2019 में चंदा कोचर अजय उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन ग्रुप के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के तहत मामला दर्ज किया था और 2022 में चंदा और उनके पति को गिरफ्तार कर लिया था जिसके बाद 2023 में उन्हें और उनके पति को कोर्ट से जमानत मिल गई थी। जिसके बाद एक अपीलीय ट्रिब्यूनल ने चंदा कोचर को दोषी करार दिया है।
ED को ठहराया सही
ट्रिब्यूनल ने चंदा कोचर को 78 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी रिलीज करने की राहत देने वाली कमेटी को भी खूब फटकार लगाई। दरअसल ED ने चंदा कोचर और उनके पति के खिलाफ मजबूत दस्तावेज और साक्ष्य के आधार पर कार्यवाही करते हुए उनकी 78 करोड़ रूपये की संपत्तियों को जब्त किया था। ट्रिब्यूनल ने ED की इस कारवाई को वैध ठहराते हुए मंजूरी दे दी । इसमें मुंबई के चर्चगेट स्थित उनका फ्लैट जो कि विडियोकॉन से जुड़ी कंपनियों के जरिए खरीदा गया था वो भी शामिल है।