
नई दिल्ली: संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर चर्चा से ठीक पहले केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने एक ऐसा बयान दिया, जिसने माहौल को पहले ही तीखा कर दिया। उन्होंने कहा, “जब रावण ने लक्ष्मण रेखा पार की, तो लंका जल गई।” यह टिप्पणी विपक्ष पर तीखा राजनीतिक कटाक्ष माना जा रहा है।
क्या है ‘ऑपरेशन सिंदूर’?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत सरकार का एक खास सुरक्षा अभियान था
जिसका उद्देश्य आतंकी नेटवर्क को खत्म करना और संवेदनशील इलाकों में शांति बहाल करना था।
संसद में इसकी चर्चा से पहले ही माहौल तेज हो गया, जिससे राजनीतिक गर्माहट बढ़ गई।
रिजिजू का बयान और उसका अर्थ
रिजिजू ने रामायण का उदाहरण देकर लक्ष्मण रेखा को एक प्रतीकात्मक सीमा बताया, जिसके पार जाने पर अराजकता और नुकसान संभव है।
उनका बयान संभवतः उन ताकतों पर निशाना था जिन्हें सरकार देश विरोधी गतिविधियों से जोड़ रही है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
विपक्ष ने रिजिजू के बयान को भड़काऊ कहकर सरकार पर संसद को बयानबाज़ी का मंच बनाने का आरोप लगाया
जबकि सत्ता पक्ष ने इसे देशहित में जरूरी कदम बताते हुए कहा कि देशविरोधी ताकतों को सख्त जवाब देना आज की जरूरत है।
सुरक्षा और रणनीति पर जोर
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के अंतर्गत पूर्वोत्तर और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में आतंकवाद, तस्करी व राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई की गई।
सरकार का कहना है कि इससे कई बड़े नेटवर्क बेनकाब हुए और सुरक्षा बलों को अहम कामयाबी मिली।
संसद में बहस की दिशा
विपक्ष ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सरकार से पूरी जानकारी और पारदर्शिता चाहता है
जबकि सत्ता पक्ष इसे देशहित में लिया गया फैसला बताकर समर्थन कर रहा है। बहस के दौरान और भी तीखे बयान सामने आने की उम्मीद है।
निष्कर्ष
रिजिजू के लक्ष्मण रेखा वाले बयान से स्पष्ट होता है कि सरकार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को सुरक्षा के साथ-साथ सांस्कृतिक और भावनात्मक नजरिए से भी देख रही है।
संसद में बहस से यह सामने आएगा कि अभियान कितना सफल रहा और विपक्ष किन मुद्दों पर सवाल उठा रहा है।
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